विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में ही लक्खीसराय विधानसभा का चुनाव होना है।लक्खीसराय विधानसभा से कई दिग्गज अपनी किस्मत आजमा रहे हैं,जिससे मुकाबला काफी रोमांचक होने की संभावना है।वर्तमान विधायक विजय कुमार सिन्हा का यह पांचवां चुनाव है।इससे पहले फरवरी 2005,2010 और 2015 के चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई थी।जबकि नवंबर 2005 के चुनाव में राजद प्रत्याशी फुलेना सिंह ने उन्हें शिकस्त दी थी।इस चुनाव में उन्हें टिकट दिए जाने का स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने काफी विरोध किया था,काफी हंगामा किया था।बावजूद पार्टी ने अपना उम्मीदवार नहीं बदला।स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद एक बार फिर पार्टी ने विजय कुमार सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है।दूसरी ओर महागठबंधन में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई और कांग्रेस नेता अमरेश कुमार अनीश महागठबंधन के उम्मीदवार हैं।लेकिन दोनों गठबंधन के बागियों ने चुनावी समर में कूद कर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है।भाजपा की बागी बबीता देवी ने जहां निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन किया है तो वहीं जदयू के बागी सुजीत कुमार और राजद के बागी फुलेना सिंह भी निर्दलीय मैदान में हैं।

इस बात में कोई शक नहीं कि क्षेत्र में वर्तमान विधायक और एनडीए प्रत्याशी विजय कुमार सिन्हा का भारी विरोध है।स्थानीय लोगों की शिकायत है कि पिछले 10 वर्षों में क्षेत्र का कोई विकास नहीं हुआ।हर योजना में भारी भ्रष्टाचार है।लोगों की शिकायत है कि विधायक सिर्फ अपने कुछ कार्यकर्ताओं तक ही सीमित हैं।ऊपर से पूर्व में दिए विधायक के सवर्ण विरोधी बयान की भी खूब चर्चा हो रही है।ऐसे में विजय कुमार सिन्हा की राह काफी कठिन लग रही है।जबकि अमरेश कुमार अनीस युवा हैं और बड़हिया के स्थानीय हैं,सज्जन और मृदुभाषी हैं।विजय कुमार सिन्हा और वर्तमान प्रदेश सरकार के विरोध का लाभ इन्हें मिलने की पूरी संभावना है।लेकिन जदयू के बागी सुजीत कुमार ने शायद निर्दलीय मैदान में आकर विजय कुमार सिन्हा की राह आसान कर दी है।क्योंकि सुजीत कुमार और अमरेश कुमार अनीस दोनों ही बड़हिया के रहने वाले हैं।ऐसे में यदि कोई एक मैदान में होते तो उनकी जीत तय थी।लेकिन दोनों के खड़े होने से इसका पूरा लाभ विजय कुमार सिन्हा को मिलने की संभावना है।
इसमें कोई शक नहीं कि सुजीत कुमार लखीसराय विधानसभा के सबसे लोकप्रिय नेता हैं।गांव-गांव में उनकी अच्छी पकड़ है।इसकी वजह है कि वो लगातार पिछले 10-15 साल से हर दिन क्षेत्र में जनता के बीच रहते हैं।एनडीए को सुजीत कुमार जैसे समर्पित कार्यकर्ता को टिकट देना ही चाहिए था।वहीं बबीता देवी मैदान में तो हैं लेकिन रेस में कहीं नजर नहीं आ रही हैं।लगता है भीड़ को उन्होंने अपना वोटर समझने की भूल कर दी। उन्हें अभी और क्षेत्र में काम करने की जरूरत है।वहीं राजद के बागी पूर्व विधायक फुलेना सिंह की भी पकड़ ढीली हो चुकी है।वो भी कहीं रेस में नजर नहीं आ रहे।यदि वो अपने गठबंधन के प्रत्याशी का सहयोग करते तो अमरेश कुमार के लिए काफी लाभकारी होता।ऐसे बबीता देवी और फुलेना सिंह में चौथे और पांचवें स्थान के लिए लड़ाई है।कुल मिलाकर यदि देखा जाए तो विजय कुमार सिन्हा, अमरेश कुमार और सुजीत कुमार के बीच दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद है। तीनों में से किसी को भी अभी कमजोर नहीं कहा जा सकता।अब देखना है कि क्षेत्र के मतदाता किसे तिलक लगाते हैं।
अनुभव सिंह
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