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हर घर नल जल योजना टाँय टाँय फिस्स,वार्ड सदस्य एवं मुखिया का भेंट चढ़ा नल जल योजना

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हर घर नल जल योजना टाँय टाँय फिश।

वार्ड सदस्य एवं मुखिया का भेंट चढ़ा नल जल योजना।

नीतीश सरकार के सात निश्चय योजना हुआ कमीशन खोरी का शिकार ।

रिपोर्टर:-अर्जुन कुमार झा/समस्तीपुर/खानपुर/प्रखंड क्षेत्र के श्रीपुरगाहर पश्चिमी पंचायत की
जनता पानी के लिए है बेहाल।मुखिया,जेई और वार्ड सदस्या कमिशन लेकर हैं खुशहाल। सरकार को जनता द्वारा अरबों खरबों रुपया प्रत्येक महीना किसी ना किसी माध्यम से सरकार के खजाने में जाती है।कहीं टेक्स के रुप में,तो कहीं जीएसटी,कहीं चलान काट कर,तो कहीं टिकट स्टाम्प बेच कर।बताना ये है कि किसी ना किसी माध्यम से राज्य व् केंद्र सरकार को खरबो रुपये जाती है जिसे सरकार उस पैसे को उसी जनता के कामों में लगाना चाहती है।लेकिन
उसी में से बिहार सरकार को सात निश्चय योजनाओ में से एक है हर घर नल जल योजना।जी हाँ हम बात कर रहे है नल जल योजना की,जिसके तहत सरकार बिहार के प्रत्येक पंचायत के चयनित वार्ड में प्रत्येक घर में नल जल का शुद्ध जल पहुंचाने के लिए कटिबद्ध है।वही इस काम का जिम्मा पंचायत के प्रतिनिधि मुखिया,वार्ड सदस्यऔर वार्ड सचिव को दिया गया है।इसके लिये बिहार सरकार प्रत्येक चयनित वार्ड में शुद्व पानी मुहैया कराने के लिये 14 से 15 लाख रुपये दे रही है।ताकि कार्य सही तरीके से हो सके।काम करने के लिए वार्ड मेंबर के साथ साथ वार्ड सचिव का भी चयन किया गया है।
बताते चलें कि इस नल जल योजनाओं की राशि मुखिया के द्वारा वार्ड मेंबर के खाते पर ट्रांसफर की जाती है।वही मुखिया के द्वारा 2 से 2•5 लाख रुपये कमिशन के रूप में लिया जाता है।बांकी पैसे को वार्ड मेंबर और सचिव के मिली भगत से नल जल योजनाओं का कार्य कमिशन पर किसी ठिकेदार के हाथों सौप दी जाती है।तब जा कर बिचौलियों के द्वारा कार्य शुरू किया जाता है।जिसमे ठिकेदार की मनमानी से गुणवत्ता को ताक पर रखकर घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है।वहीं नल जल की पाईप को कम गहराई में गाड़ा जा रहा है।वहीं पानी टंकी टावर की उंचाई मानक के अनुसार निर्माण नहीं किया जाता है।मनरेगा के स्थान पर जेसीबी से कार्य लिया जाता है
आपको बताते चलें कि खानपुर प्रखंड के श्रीपुर गाहर पश्चिमी के मुखिया रमेश माझी और वार्ड 3 की वार्ड सदस्या रूना देवी है। जब स्थानीय जनप्रतिनिधियो ने इस क्षेत्र का भ्रमण किया और ग्रामीणो से जानकारी ली तो पता चला कि बोरिंग मार्च महीने मे हीं गाड़ा गया।बोरिग का बोर 340 फिट किया गया है,जिसमें से 7 माह बाद भी बालू निकल रहा है।वही इस बोरिंग में मोटी ग्रेबुल के स्थान पर बालू और अधिक मात्रा में गोबर डाला गया है जिसके बजह से पानी में बालू के साथ साथ गोबर का गंध भी आ रहा है
।गाड़े गये बोरिंग का पानी पीने लायक नही है।भवन निर्माण में भी गेट के बिम्ब के स्थान पर तख्ता लगाया गया है जो लोड परने से कभी भी टुट सकता है।और घटना घट सकती है।यहाँ सिर्फ मुखिया वार्ड मेंबर को सिर्फ कमिशन चाहिए।ठिकेदार के द्वारा काम सही तरीके से हो या ना हो।लेकिन कमीशन चाहिये।लोगों ने बताया कि यहाँ का मुखिया रमेश माझी और जेई बोलेरो से घूमता है,लेकिन योजना स्थल पर जाने में इनको शर्म लगती है।क्योंकि कमीशन लेकर केवल इस कार्य को एक ठिकेदार के ऊपर छोड़ दिया गया है।जहाँ से मुखिया,जेई और वार्ड मेंबर को कमिशन के तौर पर एक मोटी रकम मिला है। उसी करण नल जल का काम घटिया से घटिया किया जा रहा है।
अगर समय रहते इस योजना की जांच धरातल स्तर पर नही किया गया तो नल जल योजना से ग्रामीणों को कभी पानी नही मिल पायेगा।कुछ हीं दिनो में बोरिंग थप पर जायेगी और सड़कों मे
गाड़ा पाईप ध्वस्त हो जायेगा। आमजनों ने कहा कि इन सभी मुद्द्दों पर बारीकी से गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए जिससे कि आम जन को सरकारी योजनाओं से लाभान्वित हो सके ।

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