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हम जो काम करते हैं उसमें किसी प्रकार का समझौता नहीं करते:- मुख्यमंत्री

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टना 31 अक्टूबर 2018:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज मगध प्रमंडलीय दलित- महादलित कार्यकर्ता सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर किया। गया के गाँधी मैदान में आयोजित सम्मेलन में स्थानीय नेताओं एवं जन प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंटकर उनका अभिनंदन किया।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दलित-महादलित सम्मेलन में आए लोगों का मैं अभिनंदन करता हूँ और इस सफल आयोजन के लिए तमाम आयोजकों को बधाई देता हूॅ। हमारी प्रतिबद्धता है न्याय के साथ विकास के प्रति। उसे ही ध्यान में रखकर हमने काम किया और प्रारंभ से हमने यह कोशिश की है कि न्याय के साथ विकास का मतलब लोग भी समझें। न्याय के साथ विकास का मतलब समाज के हर तबके और हर इलाके का विकास है। हर तबके के विकास की बात करते हैं तो यह ध्यान रखना है कि समाज का जो हिस्सा विकास की मुख्य धारा से वंचित है, जिसकी उपेक्षा हुई है ऐसे हाषिए पर रह रहे लोगों को मुख्य धारा में लाना है। यह बात काम संभालने के पहले दिन से ही हमने कही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने सत्ता संभाली थी तो उस वक्त साढ़े 12 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर थे। बच्चों को स्कूलों तक लाने का प्रयास शुरु किया गया। 22 हजार से ज्यादा नए स्कूल खोले गए, पुराने स्कूलों में एक लाख से भी ज्यादा कमरे बनाए गए, तीन लाख से अधिक शिक्षकों का नियोजन किया गया। साढ़े 12 प्रतिशत बच्चे जो स्कूलों से बाहर थे, उसे लेकर जब सर्वेक्षण कराया गया तो यह पता चला कि दलित-महादलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों की संख्या इसमें सबसे ज्यादा हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए महादलित टोलों में टोला सेवकों को नियोजित किया गया। इसी तरह से अल्पसंख्यक समुदाय के लिए तालिमी मरकज एवं शिक्षा स्वयं सेवकों का चयन किया गया। इनमें टोला सेवक की संख्या 20 हजार से ज्यादा, जबकि शिक्षा स्वयं सेवकों की संख्या करीब 10 हजार थी। इन लोगों को प्रतिनियुक्त कर बच्चों को पढ़ाने और तीसरे-चैथे क्लास में एडमिशन के लायक बनाने का निर्देश दिया गया। इसका नतीजा रहा कि साढ़े 12 प्रतिशत की संख्या घटकर आज एक प्रतिशत से भी कम रह गई है। उन्होंने कहा कि बहुत लोगों की यह आदत होती है कि जोर-जोर से बोल दो भले काम कुछ नहीं करो। अब आंकलन कर लीजिए कि पहले क्या होता था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एस0सी0/एस0टी0 के लड़के-लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालयों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उनमें सुविधाएं भी बढ़ाई गईं। सभी विद्यालयों को

12वीं तक अपग्रेड किया गया और अब आवासीय विद्यालयों में रहने वालों के लिए भोजन से लेकर कपड़े तक की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा छात्रावासों में रहने वाले बच्चों के लिए बिजली सहित अन्य सुविधाएं मुहैया कराई गई। एस0सी0/एस0टी0, अल्पसंख्यकों एवं पिछड़ों के लिए बने छात्रावासों में रहने वाले छात्रों के लिए नौ किलो चावल, छह किलो गेंहू प्रतिमाह देने की व्यवस्था की गई। पूर्व से मिल रही छात्रवृत्ति के अतिरिक्त बढ़ते खर्च को देखते हुए छात्रावास में रहने वाले छात्रों को एक हजार रुपए महीना देने का निर्णय भी लिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा सहित विकास के अन्य क्षेत्रों में काफी काम किये गये हैं। महादलित विकास मिशन का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि मैंने दशरथ मांझी को अपनी कुर्सी पर बैठाया और उनके नाम पर कौशल विकास योजना शुरु की गयी। हर महादलित टोले में सामुदायिक भवन एवं वर्क शेड के निर्माण की शुरुआत की और अब तक साढ़े तीन हजार से अधिक ऐसे भवन निर्मित हो चुके हंै। उन्होंने कहा कि हमलोगों ने यह निर्णय लिया कि महादलित विकास मिशन के जरिए जो काम महादलितों के विकास के लिए किया जा रहा था, उसका लाभ अनुसूचित जाति एवं जनजातियों को भी दिया जाएगा। हमने जब कार्यभार संभाला था तो अनुसूचित जातियों को भी ग्राम पंचायत में आरक्षण नहीं था, इसके बाद भी कुछ लोगों को केवल बोलने की आदत है। उन्होंने कहा कि हम 2005 के नवंबर में सत्ता में आये और 2006 में ग्राम पंचायत के चुनाव में एस0सी0/एस0टी0 समुदाय के लोगों को आरक्षण देने के साथ ही महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की। उन्होंने कहा कि हमारे गरीब परिवार की महिलाओं में भी जागृति आनी चाहिए। इसके साथ-साथ कुछ ऐसे काम करने चाहिए कि परिवार के भरण-पोषण के लिए पैसे आ जाएं। हमलोगों ने स्वयं सहायता समूहों का गठन कर जीविका योजना की शुरुआत की। आज आठ लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूह बन चुके हंै और हमारा लक्ष्य इसे 10 लाख करने का है। अब तक 83 लाख परिवार इससे जुड़ चुके हैं जिसमंे सबसे ज्यादा संख्या गरीब परिवारों की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जो काम करते हैं उसमें किसी प्रकार का समझौता नहीं करते। सात निश्चय के माध्यम से जो कार्य किये जा रहे हैं, उसका लाभ सभी को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि छात्रावास अनुदान योजना का भी संचालन किया जा रहा है। हमलोगों ने एक और नई स्कीम चलाई है कि यदि कोई एस0सी0/एस0टी0 एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के युवा बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करेंगे तो उनको अंतिम परीक्षा में भाग लेने के लिए 50 हजार रूपये और यदि संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करेंगे तो मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिये एक लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जायेगी। उन्होंने कहा कि एस0सी0/एस0टी0 समाज के जिन युवाओं में उद्यमिता का भाव है और यदि वे उद्योग लगाना चाहते हैं तो ऐसे युवाओं को मदद करने के लिए पहले से स्कीम है स्टार्टअप योजना। उद्यमिता का भाव रखने वाले युवाओं को मदद देने के लिए 500 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड बनाया गया है। स्टार्टअप नीति के तहत की जाने वाली मदद में 20 फीसदी एस0सी0 एवं 2 फीसदी एस0टी0 वर्ग के युवाओं के लिए आरक्षित है। नई योजना के तहत ऐसे उद्यमियों को 10 लाख रूपये की मदद राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी, जिसमें पांच लाख रूपये अनुदान के रूप में मिलेंगे, जबकि पाॅच लाख रूपये ब्याज रहित होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं की मांग पर हमने शराबबंदी लागू की। इसका सबसे ज्यादा लाभ गरीबों को मिला है जो अपनी गाढ़ी कमाई शराब में लुटा देते थे। कुछ लोगों की मानसिकता गड़बड़ी करने की होती है। ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी हो रही है। शराबबंदी के बाद जो परिवार शराब की चुलाई या इससे जुड़े रोजगार की बदौलत अपने परिवार का
भरण-पोषण करते थे, ऐसे परिवारों की पहचान कर उन्हें सतत् जीविकोपार्जन योजना के
जरिये स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर वैकल्पिक रोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
ऐसे वैकल्पिक रोजगार करने वाले 35-40 लोगों के उपर एक व्यक्ति को लगाया गया है

ताकि वे समर्पण भाव से काम करते रहें। वैकल्पिक रोजगार के लिए 60 हजार रूपये से एक लाख रुपये तक की मदद दी जाएगी। वैकल्पिक रोजगार शुरु करने पर सात महीनों तक एक हजार रुपए प्रतिमाह सरकार की ओर से दिया जाएगा ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। उन्होंने कहा कि जो लोग दारु चुलाते थे, उनकी इज्जत नहीं थी,
वैकल्पिक कार्य से उनकी इज्जत बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद पूर्णिया में शराब
का कारोबार करने वाले ऐसे लोगों को गाय खरीदकर दी गई। जो परिवार जानकारी के
अभाव में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाये हैं, ऐसे परिवारों को भी सतत्
जीविकोपार्जन योजना से जोड़ा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले इंदिरा आवास योजना थी, अब इसका नाम प्रधानमंत्री
आवास योजना ग्रामीण हो गया है। कई लोगों को योजना में नाम आने के बाद भी जमीन
नहीं होने के कारण लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे लोगों को 60 हजार रुपये जमीन खरीदने

के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा हमने यह भी तय किया है कि 1996 के पहले इंदिरा आवास के तहत बने मकान जो ढह गए हैं अथवा क्षतिग्रस्त हो गए हैं, वैसे परिवारों को चिह्नित कर मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत उन्हें 1.20 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी ताकि वे दुबारा मकान बना सकंे। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में सड़क बन रही है और सात निश्चय के तहत गांव के टोलों तक भी सड़क बनाने का काम जारी है। वार्ड के स्तर पर काम कराया जा रहा है और अनुसूचित जाति की बहुलता वाले वार्डों में पहले नाली एवं सड़क निर्माण, पेयजल आपूर्ति का कार्य कराया जा रहा है। इसके लिए सभी पंचायतों और वार्डों को पैसा उपलब्ध कराया जा चुका है। आपसे गुजारिष है कि इसकी निगरानी करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले 30 फीसदी ही सड़कें थंी और बाकी इलाकों में पैदल चलना पड़ता था। उन्होंने कहा कि जब हम सांसद थे तो क्षेत्र में घूमने के लिए हमें प्रतिदिन 18 से 20 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था लेकिन अब ऐसी जरुरत नहीं पड़ती है। प्रत्येक पंचायत में पांच लोगों को वाहन खरीदने के लिए एक-एक लाख रुपये की मदद दी जा रही है। इसमें से तीन एस0सी0/एस0टी0 एवं दो अति पिछड़े वर्ग के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। पहले सिर्फ कुछ लोग ही गाड़ी में चलते थे लेकिन अब हर कोई चल सकता है, यही है न्याय के साथ विकास। उन्होंने कहा कि लोगों की आमदनी बढ़े, लोगों की इज्जत हो, आधारभूत संरचना का विकास हो इसके लिए काम किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग समाज में भ्रम और टकराव पैदा करना चाहते हैं। बाबा साहब ने संविधान की रचना की, जिसे संविधान सभा ने स्वीकार किया। आरक्षण नहीं मिलेगा तो हाषिए पर रह रहे लोग मुख्य धारा में कैसे आएंगे। उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट तौर

पर कहना चाहता हूं कि इस देश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण के प्रावधानों को समाप्त करने की किसी में ताकत नहीं है। इसके लिए हम हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जिन्होंने कभी आरक्षण के लिए कुछ नहीं किया, वे ऐसी बातें कर रहे हैं। गया की धरती महान भूमि है। यह ज्ञान एवं मोक्ष की भूमि है। जब जय भीम कहते हैं तो यह समझ लें कि बौद्ध धर्म का संदेश अहिंसा, शांति एवं सहिष्णुता का है। जब तक आपका विकास नहीं होगा। समाज, राज्य एवं देश का विकास नहीं हो सकता है।

सम्मेलन में शामिल लोगों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी के बहकावे में नहीं आइये। बाबा साहब ने भी कहा है एकता में बंधिए। आप सभी अपने बच्चों को पढ़ाएं और आगे बढ़ाएं। इसके लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि आजकल समाज में कटुता पैदा करने की काफी कोशिशें की जा रही हैं क्योंकि अब राजनीति का कोई मतलब ही नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि लोग बिना काम किए और बिना सिद्धांत के प्रति निष्ठा रखे राजनीति में आ जाते हैं और ताकत मिलने पर उसका दुरुपयोग करते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी के जन्म के 150 साल पूरा होने पर पूरे सूबे में विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हंै। गांधी जी ने कहा था कि यह धरती जीव-जंतु की हर जरुरतों को पूरा करने में सक्षम है लेकिन लालच को पूरा नहीं किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी ने सात सामाजिक पाप बताये थे। सिद्धांत के बिना राजनीति, काम के बिना धन, विवेक के बिना सुख, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना व्यापार, मानवता के बिना विज्ञान और त्याग के बिना पूजा संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के संदेशों को अपनाएं। इससे न सिर्फ आप आगे बढ़ेंगे आपके बलबूते पूरा समाज, सूबा एवं देश आगे बढ़ेगा। हमारी परिकल्पना गौरव के साथ सूबे को एक नई ऊॅचाई पर पहुंचाना है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आज आप सभी अपने अधिकारों को खत्म नहीं होने देने का संकल्प लीजिए।

सम्मेलन को भवन निर्माण मंत्री श्री महेश्वर हजारी, शिक्षा मंत्री श्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, परिवहन मंत्री श्री संतोष कुमार निराला, पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री श्याम रजक, पूर्व मंत्री एवं विधान पार्षद श्री अशोक चैधरी ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री श्री रमेश ऋषिदेव, सांसद श्री आर0सी0पी0 सिंह, पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री विनोद प्रसाद यादव, विधायक श्री अभय कुशवाहा, विधायक श्री रवि ज्योति, विधायक श्री रत्नेश सदा, विधान पार्षद श्रीमती मनोरमा देवी, विधान पार्षद श्री तनवीर अख्तर, विधान पार्षद श्री सलमान रागीव, विधान पार्षद श्री ललन सर्राफ, गया जदयू जिला अध्यक्ष श्री शौकत अली सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, वरीय अधिकारीगण, जनप्रतिनिधिगण एवं बड़ी संख्या में कार्यकर्ता एवं आमलोग उपस्थित थे।

इसके पूर्व मुख्यमंत्री गया के गेवल विगहा स्थित बैतूल अनवार खानकाह पहुँचें जहाँ खानकाह के सज्जादा नशीं श्री नईमूल होदा कादरी, सज्जादा नशीं श्री अमीनुल होदा कादरी, जदयू बुनकर प्रकोष्ठ अध्यक्ष मौलाना उमर नूरानी, जदयू बुनकर प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव मोहम्मद साबिर अंसारी एवं खानकाह तथा जदयू से जुड़े अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।

मगध प्रमंडल की ओर से उलेमाओं ने मुख्यमंत्री को ‘बेस्ट सेक्युलर लीडर ऑफ इंडिया’ के संदर्भ में एप्रेसिएशन लेटर भी भेंट किया।

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