रविन्द्र ठाकुर/उदय कुमार
शाहपुर पटोरी/समस्तीपुर :-
मित्रो ! विगत दिनो मेरे कलम से समाज से जुड़ी कई लेख आपको समर्पित करते हुए काफी हर्ष हुआ कि आपलोगों ने मेरे उस लेखों को काफी सराहा उसी का यह खुशपरिणाम है कि मै पुनः अपनी लेख “चुनौतियों से जूझता भारत” आपको बिहार न्यूज़ लाइव के माध्यम से आप तक पहुंचा रहा हूँ । आशा है पूर्व की भांति इस लेख को भी आप पाठको के द्वारा सराहा जा सकेगा !
मित्रों जैसा की आप सभी जानते है की हम सब एक अखण्ड भारत के नागरिक है और देश के नागरिक होने के नाते हमसबों का यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने देश के विकास के लिए चिंतन और मनन करें साथ ही अपनी भुमिका का तलाश करें उसका निर्वहन करें । तभी हम एक अखण्ड देश के आदर्श नागरिक का दर्जा प्राप्त कर सकेंगे।
मित्रों वर्तमान समय मे देश कई चुनौतियों से जूझ रहा है । जैसा की आप सभी विभिन्न माध्यमो से जानते है की विगत कई वर्षो से पड़ोसी मुल्क को देश की अखंडता पर नजर लग गई है और इसे नेस्तानाबूद करने पर अमादा है । एक तरफ चीन अपना फन बार बार फैला रहा तो दूसरे तरफ पाकिस्तान के बेजा हरकत बार बार परेशानी का सबब बन सामने चुनौती के रूप मे खड़ा हो जाता है । खैर हम ऐसे देश के ऐसे नागरिक है कि उनका मुंहतोड़ जबाब देने मे कोई कोर कसर नही छोड़ते । वो पराए है उनसे निपटना तो आसान है परन्तु उससे भी बड़ी चुनौती हमे अपने देश के अन्दर अपनो से ही है जिससे निपटना बड़ा ही मुश्किल साबित हो रहा है जो हमारे अखंडता पर खतरा पैदा कर रहा है तथा देश के विकास मे सबसे बड़ी बाधक बना हुआ है । देश आज आंतरिक संघर्षो के दौर से गुजर रहा है । देश के भाग्य विधाता स्वयं के विकास मे लीन है । एक तरफ धार्मिकता तो दूसरी तरफ जातीयता देश के लिए आंतरिक खतरा पैदा कर रहा है तथा उससे से भी बड़ी चुनौती राजनेताओं की राजनैतिक लड़ाई है जो देश को अन्दर ही अन्दर खोखला करता जा रहा है । आज देश मे दर्जनो जातीय एवं धार्मिक संगठन है जो समय समय पर अपना उन्माद फैलाकर देश का ध्यान पड़ोसी मुल्क के हरकत की ओर से अपनी ओर ध्यान खींच लेता है और पड़ोसी मुल्क इसका नाजायज फैदा उठा हमपर वार दर वार कर रहा है और देश के रहनुमा मूकदर्शक बन तमाशबीन बने हुए है । याद करें आजादी पूर्व भारत की जिसने किसी एक के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए आजादी के संघर्षो मे कूद देश के आजादी तक संघर्ष करते रहे । आज तो सैंकड़ो तथाकथित गाँधी इस देश का नेतृत्व कर रहा है फिर भी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है । आखिर इसके लिए दोषी कौन है ? क्या हमसब का देश के प्रति कोई कर्तव्य नही ? जब कभी देश पर कोई संकट आता है तो हम शीर्ष नेतृत्व को दोषी ठहरा अपना पल्ला झाड़ लेते है और फिर उसी नेतृत्व से अपने अधिकार के लिए संघर्ष करते रहते है । क्या यह औचित्य है ? क्या हम केवल इस देश के नागरिक मात्र है ? और केवल नागरिक हो जाने मात्र से हमे वो सारे अधिकार मिल जाएंगे ? क्या हमे हमारे देश के प्रति कोई कर्तव्य नही ? आखिर हम कबतक जात और धर्म , अगड़ों और पिछड़ों , ऊंच और नीच की लड़ाई मे अपने को उलझाते रहेंगे ? एक तो पड़ोसी मुल्क परायेपन का अहसास कराते रहते है परन्तु हम अपने होकर क्यूँ परायेपन की बोध कराने मे तूले है ? क्या इससे देश का विकास बाधित नही होता ? क्या यह आने वाले पीढ़ियों के लिए शुभ संकेत है ?
- मित्रो जरूरत है आज उक्त सभी बिन्दुओं पर गंभीरता पूर्वक चिंतन एवं मनन करने की । तभी हम कर्तव्यनिष्ठ कहलायेंगे और देश को एक मज़बूत एवं नया आयाम दे पाएँगे । इन्ही शब्दो के साथ अगले लेख मे फिर मिलेंगे ! आशा है यह लेख आपको अवश्य पसन्द आएगा ! हाँ इस लेख मे कोई त्रुटि अथवा सुझाव नजर आये तो मेरे व्हाट्सएप नम्बर – 9122086497 पर कॉल या मेसेज कर दे सकते है ।
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