समस्तीपुर:शारदीय माँ दुर्गा की पट खलते ही बड़ी संख्या में दुर्गा मंदिर परिसर खतुआहा में श्रद्धालू की उमड़ी भीड़
अर्जुन कुमार झा/समस्तीपुर/खानपुर/प्रखंड क्षेत्र के 20 जगहो पर हो रहे मंदिरों में माँ दुर्गा की पूजा आर्चना धूमधाम से की जा रही है।वही प्रखंड क्षेत्र के सबसे पुरानी दुर्गा मंदिर खतुआहा है।जो मनोकामना दुर्गा मंदिर के नाम से प्रसिद्व है।इस मंदिर में पूर्व से ही रामनगर के निवासी विद्वान् पंडित फूलबाबू के द्वारा विधिविधान से पूजा पाठ कराया जाता है।
जिसमें इस वर्ष मंगलवार की रात्री सप्तमी तिथि को विद्वान् पंडित फूलबाबू के द्वारा मन्त्रोच्चारण के साथ निशा पुजा शुभारंभ किया गया।वही सेकड़ो श्रद्धालु मंदिर परिसर में पहुच कर माँ दुर्गा की पट खुलने की इंतजार कर रहे थे।जैसे ही रात्रि करीब 10 बजे माँ दुर्गा की पट खुली की श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।तथा श्राद्धालुओ ने माँ दुर्गा की जयकारा लगाने के साथ पूजा पाठ करने लगे जिसे पुरे गाव भक्तिमय व् गुंजयमान होने लगा।यह दुर्गा मंदिर खतुआहा चौक स्थिति मनोकामना मंदिर हैं।जहाँ हर साल नवरात्री में श्रदालु भक्तों की भीड़ उमड़ जाती है।श्रद्धालु ने माँ दुर्गा की पूजा अर्चना बड़े धूमधाम से करते हैं.मान्यताओं के अनुसार यहां मां दुर्गा के दरबार मे आने से हर मनोकामना पूर्ण होती हैं।हर वर्ष पूजा में मुख्य भूमिका निभा रहे श्रद्धालु विवेक झा व् मदनबली झा कहना हैं कि इस मंदिर में विराजमान साक्षात माँ दुर्गा ने अपने भक्तों की मांगी गयी मनोकामना विफल नही हुई है।जो भक्त इस मंदिर में आकर श्रद्धा पूर्वक माँ से मन्नते मांगती है उसे मन्नते जरूर पूरी होती है।इस माँ के दरबार से आज तक कोई भक्त निरास व् खाली हाथ नही लौटी है।यहाँ प्रत्येक साल जिस भक्तों को मन्नते पूरी होती है।वही भक्त नवरात्रा में माँ दुर्गा की मूर्ति का रूप बनवा कर दस रोज पूजा आर्चना करते है।यह माँ दुर्गा के दरबार में करीब 60/62 साल से केवल मन्नते पूरी होने वाले ही भक्त नवरात्रा में कलश स्थापना कर पूरी खर्च के साथ माँ दुर्गा की पूजा अर्चना करते है।इस माँ दुर्गा की दर्शनों के लिए यहां श्राद्धालू भक्त दूर-दराज से आते हैं और पूजा आर्चना कर माँ के दर्शन करते हैं तथा माँ से मन्नते मांगते है।यहाँ नवरात्रा में पूर्व से ही नवमी तिथि को माँ दुर्गा के परिसर में एक बजे दिन से काफी संख्या में छागर की बलि प्रदान भी की जाती है।इस बलि प्रदान को देखने के लिये काफी भीड़ जुटी रहती है।शारदीय नवरात्रा को पवित्र मानते हुए न केवल स्थानीय लोग पहुंचते हैं बल्कि दूर दराज के क्षेत्रों से भी मन्नते पूरी होने वाले भक्त आ कर खतुआहा दुर्गा मंदिर परिसर में अपनी छागर बलि प्रदान कर बाते है।यहाँ जो भक्त इस दरबार अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं।उन लोगों का कहना है कि यहां इस मंदिर में साक्षात विराजमान माँ दुर्गा ने अपने भक्तों का मन्नते पूरी करने में पीछे नहीं रहती है।एवम श्रद्धालु भक्तों के द्वारा मांगी गयी मन्नते उनकी जरूर पूरी करती है।शारदीय नवरात्रि के पहले दिन से ही बड़ी संख्या में खतुआहा गाव स्थित दुर्गा मंदिर में दस दिनो तक श्रद्धालू ने पूजा अर्चना के लिये पहुंचते हैं।तथा दसवीं तिथि के कल होकर दस बजे दिन से मूर्ति विसर्जन के लिये दुर्गा मंदिर से जुलुस निकाल कर समस्तीपुर बहेरी मुख्य पथ से करीब आधा किलो मीटर पूरब खतुआहा चौक स्थित हनुमान मंदिर से होते हुये भुइयां स्थान मलाही पोखर खतुआहा में माँ दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जन की जाती है।बताते चले कि 60/62 वर्ष पहले से ही खतुआहा गाव के गणमान्य लोगो के द्वारा समस्तीपुर बहेरी मुख्य पथ के किनारे खतुआहा चौक स्थित दुर्गा की मंदिर में मिट्टी की प्रतिमा में माँ की स्वरूप देकर पूजा अर्चना शुरू की गई थी।जिसके बाद स्थानीय गाव के लोगों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।माँ की पूजा में मुख्य भूमिका निभा रहे गाव के ही विवेक झा,मदन बली झा,कैलास झा,सरपंच राज कुमार झा,कौसल झा,कुंदन कुमार झा,प्रवीण कुमार झा,रमण कुमार झा,नितीश कुमार झा,गणेश महतो,मिथलेश कुमार,भोला झा,सुरेश झा,मणिकांत झा,देवेंद्र झा,उमेश झा,आदि सहित समस्त ग्रामवासी माँ की पूजा में ततपर रह कर मुख्य भूमिका निभा रहे है।
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