सुमन मिश्रा/उदय कुमार
शाहपुर पटोरी/समस्तीपुर
पटोरी प्रखंड के टांड़ा गाँव निवासी बज्जिका कवि ज्वाला सांध्यपुष्प के आवास परिसर मे शरद पूर्णिमा एवं बाल्मीकि जयंती के अवसर पर परंपरा साहित्य एवं संस्कृति चेतना मंच द्वारा मंच के संयोजक श्री पुष्प के संयोजकत्व कौमुदी काव्योंउत्सव सह वृक्षारोपण महोत्सव का आयोजन किया गया ।
कवि डॉ.शैलेन्द्र त्यागी की अध्यक्षता एवं पूर्व रेल राजभाषा पदाधिकारी सह कवि द्वारिका राय सुबोध के संचालन मे आयोजित उक्त कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो.हरि नारायण सिंह हरि ने कहा कि कौमुदी कृष्ण और गोपियो के द्वारा की जाने वाली महारास की अनोखी उत्सव है जो लोगो को एक दूसरे से प्रेम करना सीखती है । उन्होने अपनी रचना “प्रिय हमारी प्रेरणा तुम, तुम बिन निश्शेष हम है । तुम नही तो लक्ष्य बिन हम , तुम हो तो उद्देश्य हम है” । । के माध्यम से प्रेम के पूर्णता को दृष्टिगोचर करते हुए कहा कि जिसने जीवन मे प्रेम को पा लिया मानो दुनिया का सबकुछ पा लिया हो । वही कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ.त्यागी ने अपनी रचना “हँसकर मिलते है, मगर दिल छुपा लेते है लोग । बात करते है दवा की, दर्द दे जाते है लोग” ने जमकर तालियाँ बटोरी जबकि संयोजक श्री पुष्प की रचना “चेहरे पे लटें तुम गिराके रखो, झुकी हुई पलकें भी उठा के रखो । कोई और नही यहाँ मेरे सिवा, बुझा हुआ चिराग तुम जलाके रखो” ने बूढ़े शरीर मे भी जवानी का अहसास करा गया । कविता की इस कड़ी मे एक ओर फिरोज समस्तीपुरी की रचना “अपने गम को हमसफ़र बना लिया, इसे दिलरूबा, दिलबर बना लिया ने” प्रेम की हालात को बयां करने मे कोई कोर कसर नही छोड़ी तो दूसरी ओर मुरारी प्र.शर्मा की रचना “चाँद आना जरूर, देखे जमाना हुआ” ने प्रेम मे महबूबा के दर्शन को प्यासी मन के भावो को उकेर कर रख दिया । इसके अलावे कार्यक्रम को कवि अवधेश कुमार झा, अरुण कुमार, सिंह, दुखित महतो भक्तराज, प्रो.ज्ञानशंकर शर्मा, अरुण मालपुरी, उमेश कुमार आदि ने अपनी अपनी रचनाओ की फुहारों से माहौल को खुशनुमा कर दिया । कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य एवं विशिष्ट अतिथियों के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया जबकि समाप्ति पर्यावरणविद वशिष्ठ राय वशिष्ठ के वृक्षारोपण के साथ की गई । मौके पर रौशन कुमार पाण्डेय, संजीत कुमार राय, विक्की कुमार सहित दर्जनो लोग उपस्थित थे ।
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