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पूर्वी चंपारण: हिन्दू-मुस्लिम एकता का परिचायक बना जुलूसे मुहर्रम

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मोहर्रम के मौके से हजरत इमाम हुसैन की शहादत का जुलूस निकाला गया

नीरज कुमार सिंह/असरफ
बिहार न्यूज लाइव@पूर्वी चम्पारण (केसरिया)

हजरत इमाम हुसैन की शहादत का जुलूस निकाला गया। हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत की यादगार में मुहर्रम को क्षेत्र के विभिन्न गांवों व कस्बों में बड़े ही अदब व एहतराम के साथ या हुसैन या अली या मौला या हुसैन की नारे तकबीर के बीच हर वर्ष की भांति इस साल भी मोहर्रम का जुलूस परम्परागत रूप से बाजे गाजे के साथ निकाला गया। जो केसरिया नगर पंचायत के गली कैंची के रास्ते प्रखंड कार्यालय होते हुए मुख्य बाजार के रास्ते स्थानीय थाना परिसर होते हुए पिताम्बर चौक कदम चौक के रास्ते कर्बला के महशरे मैदान में पहुंचा। जहां कर्तबकारों ने अपना कर्तब दिखाया व लाठीयां खेली।

इस जूलूस में हैदरिया कमीटी, सद्दाम कमीटी, सहित कई अखाड़ा कमिटी के लोग शामिल थे। वहीं शहीदे कर्बला के महसरे मैदान में नगर प्रशासन की ओर से स्वच्छता के मद्देनजर चलंत शौचालय की उत्तम व्यवस्था की गई थी। इस जूलूस को हिन्दू मुस्लिम एक होकर जुलूसे कर्बला को शांति पूर्ण सफल बनाने का अथक प्रयास किया। इधर सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर थानाध्यक्ष संजीव कुमार ने अपने दल बल के साथ कमान संभाले हुए थे। इस अवसर पर नजरी जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अनिसुर्रहमान ने बताया कि मोहर्रम के मौके से रोजा रखना और इबादत करना सुन्नते रसुल है। इस मौके से सभी लोगों को रोजा रखना अनिवार्य है। वहीं उन्होंने बताया कि हुसैनी काफिला एक मुहर्रममुल हराम सन् 61 हिजरी को मैदाने कर्बला पहुंचा। जहां यजीद के 22 हजार फौज पहले से ही मौजूद थे।

उन्होंने इमाम हुसैन को रोक कर यजीद को अपना धर्म गुरु मानने का दबाव देने लगे। और यजीदीयों के साथ बगावत शूरु हो गया। बहुत जद्दो जहद के बाद इमामे हुसैन ने इनसानियत के दुश्मनों के खिलाफ मानवता की हिफाजत के लिये अपनी जान की कुर्बानी पेश कर दी। तब से मुहर्रममुल हराम को गम का महीना माना जाता है। इस कर्बला के महशरे मैदान में मजिस्ट्रेट के रुप में केसरिया पिओ अदालत राय, इंस्पेक्टर एके आजाद, एस आई बहादूर राय, बसंत कुमार सिंह, अवधेश कुमार सिंह, नगर अध्यक्ष रजनीश कुमार पाठक, पार्षद रौशन सर्राफ, पूर्व मुखिया अमजद अली खां उर्फ गुड्डू खां, जदयू नेता वशील अहमद खान, चून्नू सिंह, बच्चूलाल यादव, मुस्तफा खां, नेजाम खां, साजीद खां, सदाब अहमद खान, इरफान खां, हातिम खां, मौलाना अख्तर अली, सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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