व्रतियों पर बरसती है मां षष्ठी की अपार कृपा
फारबिसगंज-नारायण यादव
लोक आस्था के महापर्व चार दिवसीय छठ की व्रतियों ने तैयारी शुरू कर दी है। नहाय-खाय के साथ यह व्रत आज से शुरू हो गया। व्रती ग्रामीण इलाकों के रिश्तेदारों से नया चावल, गुड़, शुद्ध घी, गन्ना आदि मंगाने लगे हैं। कोशी, पीतल व बांस के सूप, दउरा, साड़ी, चूड़ी, बिंदी, धोती, गन्ना, नारियल, फल आदि कितना आएगा इसकी सूची तैयार कर ली गई हैं। छठ पूजा में मदद करनेवाली महिलाओं का आना शुरू हो गया है। अत्यंत स्वच्छता व शुद्धता के साथ मनाए जानेवाले इस पर्व के लिए गेहूं बुनने-चुनने, उसे धोने व सूखाने का काम शुरू हो गया है। महिलाएं गीत गाते हुए पूजा के हर कार्य को पूरा करने में लगी हैं।
शहर के सुलतान पोखर,कोठी हाट नहर,अलख बाबू पोखर,भागकोहलिया नहर,सीता धार,पंचमुखी मंदिर पोखर आदि घाट पर व्रती भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे। चार दिवसीय अनुष्ठान 11 नवम्बर को नहाय-खाए के साथ शुरू होगा। व्रती 12 को खरना करेंगे। भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य 13 नवम्बर की शाम व 14 को प्रात:काल अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। इसी के साथ महापर्व संपन्न हो जाएगा। घाटों की साफ-सफाई कराने तथा सरोवरों व नदियों के पानी को स्वच्छ बनाने की दिशा में अनुमंडल प्रशासन और नगर परिषद ने अभियान शुरू कर दिया है। हालांकि उक्त घाटों पर अभी काफी गंदगी लगी है।
उधर, समाजसेवी व स्वयंसेवी संगठन के लोग भी व्रतियों की सुविधा के लिए योजनाएं तैयार कर रहे हैं। घाट तक जानेवाले रास्ते की सफाई करने के बाद उसपर पानी का छिड़काव कराने, व्रतियों के बीच दातुअन, दूध, चाय, सूप व दउरा के लिए फल देने आदि का प्लान समाजसेवियों द्वारा बनाया जा रहा है। इसके साथ ही घाट व उसके आसपास की भी सफाई करायी जाएगी। हालांकि प्रशासन ने इस कार्य को शुरू करा दिया है। छठ घाटों पर पुलिस व चिकित्सक दल की तैनाती,पुलिस वॉच टॉवर, ज्यादा पानी वाले सरोवरों की बैरिकेडिंग कराने, गश्त तेज करने, घाटों पर कपड़ा बदलने के लिए अस्थायी रूम, अस्थायी शौचालय आदि का भी निर्माण प्रशासन द्वारा कराया जाएगा।
यह पर्व जितना धार्मिक महत्व रखता है, उससे कम वैज्ञानिक महत्व नहीं है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा, शरीर के दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं। सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। राजा प्रियव्रत ने षष्ठी का व्रत रख कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी। छठ महापर्व खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यता है कि नहाए-खाए से सप्तमी के पारण तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है, जो श्रद्धापूर्वक व्रत करते हैं। नहाय-खाए में लौकी की सब्जी और अरवा चावल के सेवन का खास महत्व रहता है।
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