डाॅ. विद्या भूषण श्रीवास्तव/अब्दुल नासिर
बिहार न्यूज लाइव@छपरा
छपरा में सरकार खेती और किसानी को बढ़ावा देने के लिए दावे तो खूब करती हैं मगर हकीकत यह है कि जो लोग इस क्षेत्र से जुड़े हैं उनको किसानी के लिए मूलभूत सुविधाओं के लिए भी सरकारी उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। मशरक के दर्जन से अधिक गावों के किसान खेती में खड़ी धान की फसल की सिचाई नहीं होने से परेशान हैं।ऐसा नहीं है की यहां सिचाई के साधन नहीं है। योजना तो सिचाई विभाग और लघु सिचाई विभाग ने खूब बनायीं लेकिन बनाने के बाद उनकी कोई मरम्मत नहीं की गई लेकिन आज स्थिति यह है कि जिन नहरों में पानी होना चाहिये वहां मिट्टी, कंकड़ और घास की झाड़ियां उग आई है। प्रखण्ड में मौसम की बेरुखी के कारण खेतों में सूख रहे धान की फसल देख किसान चिंतित नजर आ रहे हैं।
प्रखण्ड में लगाए गए सरकारी नलकूप सफेद हाथी साबित हो रहा है। नहरों में खेत तक पानी नहीं पहुंचने से किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। किसान रातदिन भगवान से विनती करते हैं की अब धान और मक्के की खेती तो सूखाड़ के चलते बाल बच्चों के खाने पर लाले पड़ गये है लेकिन अभी भी कोई बारिश नहीं हुआ तो गेहूं के फसल पर बूरा असर पड़ने की आसार नजर आ रही है। एक दुरगौली पंचायत के किसान रविन्द्र गिरी का कहना कि सरकार अपनी वोट की राजनीति को छोड़ किसानों की भी आर्थिक स्थिति पर ध्यान दे तो हमलोगों की समस्या निकले। किसान की क्षति उसके पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है।
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