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गोपालगंज: जीवन यात्रा तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक गुरु रूपी सेतु ना हो

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नीरज कुमार सिंह/रंजीत मिश्र
बिहार न्यूज लाइव@पंचदेवरी

महर्षि नारद जी के मार्गदर्शन पर ही ध्रुव परमपिता परमेश्वर के गोद तक पहुंच सके थे।

अर्जुन ने भी प्रभु के विराट स्वरूप का साक्षात्कार जगद्गुरु भगवान श्री कृष्ण के सानिध्य में ही किया। उक्त बातें स्थानीय प्रखंड के पंचदेवरी उच्च विद्यालय के खेल मैदान में चल रहे दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन सर्व श्री आशुतोष जी महाराज की शिष्या साध्वी सुश्री पद्मासना भारती ने कही

उक्त बाते पंचदेवरी के हाई स्कूल खेल मैदान में 25 अक्टूबर से चल रहे दिव्य ज्योति जागृति स्नस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन सर्वश्री आशुतोष जी महाराज की शिष्या साध्वी सुश्री पद्मासना भारती ने कही। उन्होंने नन्हे भक्त प्रहलाद की संकल्प यात्रा व प्रहलाद प्रसंग के अतिरिक्त भगवान के अनंत लीलाओं में छिपे गूढ़ रहस्य को कह सुनाया।

इसके अतिरिक्त उन्होंने सद्गुरु की कृपा के कई उदाहरण देकर गुरु की महिमा का बखान किया। वहीं भक्त की महत्ता पर उन्होंने कहा कि विसम से विषम परिस्थिति में भी भक्त को आपना धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि भक्त की स्वयं भगवान करते हैं। भगवान श्री कृष्ण श्रीमद् भागवत गीता में कहते हैं-

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्‌

अर्थात् जो भक्त ईश्वर को अनन्य भाव से भजते हैं उसका योगक्षेम स्वयं भगवान वहन करते हैं परंतु ईश्वर का चिंतन तभी होगा जब हमारे अंदर उनके प्रति भाव होंगे। इस शुभ.अवसर पर स्वामी यादवेंद्रानंद,तरुण कुमार,मैनेजर गुप्ता, परशुराम जयसवाल, बालेश्वर शर्मा, जगन्नाथ बैठा, अजय पांडे संतोष प्रसाद, बृज किशोर गुप्ता, जनार्दन ओझा सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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