ये हमारा Archive है। यहाँ आपको केवल पुरानी खबरें मिलेंगी। नए खबरों को पढ़ने के लिए www.biharnewslive.com पर जाएँ।

गोपालगंज: जिन सवर्णों की स्थिति सबसे अधिक खराब है, पहले उन्हें करना होगा चिन्हित-मंजीत सिंह

96

दलितों की ही नहीं, देश में सवर्णों की भी स्थिति दयनीय है

स्वर्ण जातियों के लिए केंद्र सरकार करे राष्ट्रीय आयोग का गठन

नीरज कुमार सिंह
बिहार न्यूज लाइव@गोपालगंज

बैकुंठपुर के पूर्व विधायक सह जदयू के प्रदेश महासचिव मंजीत कुमार सिंह ने गोपालगंज में आयोजित 06/10/2018 को क्षत्रिय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 31/01/2011 को समतामूलक समाज की स्थापना हेतु बिहार सरकार द्वारा उच्च जातियों के आर्थिक व शैक्षणिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को चिन्हित करके उनके पिछड़ेपन के कारणों और उन्हें दूर करने के उपाय तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के संदर्भ में उच्च जातियों के लिए राज्य आयोग का गठन किया गया। उच्च जाति आयोग के गठन का मुख्य उद्देश्य उच्च जाति के परिवार में जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती, जिनके पास रहने को मकान नहीं है या फिर बुनियादी शिक्षा से दूर हैं आदि को चिन्हित करने के लिए किया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश की जनसंख्या उत्तरोत्तर बढ़ती गई परंतु उसके हिसाब से राज्य में रोजगार का सृजन नहीं हो सका। साथ ही जोत की जमीन बढ़ती जनसंख्या के कारण परिवारों के हिस्सों में कम होती चली गई। फलस्वरुप कृषि पर आधारित छोटे व गरीब किसानों का जीवन यापन मुश्किल हो गया।

इस प्रकार उच्च जातियों के अंतर्गत बहुत से परिवार रोजगार व संसाधन के अभाव में गरीब होते चले गए। जिनकी स्थिति आज बहुत ही दयनीय व चिंताजनक है। सरकार द्वारा इस बात का एहसास किया गया कि उच्च जातियों के अंतर्गत गरीब परिवारों के आर्थिक उन्नयन एवं रोजगार उपलब्ध करवाने की दिशा में सम्यक कार्यवाही किए बिना राज्य के समावेशी विकास का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ही बिहार सरकार द्वारा उच्च जातियों के लिए एक राज्य आयोग का गठन संकल्प/ज्ञापन संख्या 314 दिनांक 31/01/2011 द्वारा किया गया। जिसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति डीके त्रिपाठी बनाए गए। आयोग के गठन के बाद स्वर्ण गरीब, काम करने में अक्षम व्यक्ति एवं अति गरीब व्यक्तियों के उत्थान के लिए सर्वेक्षण भी करवाए गए। सर्वेक्षण में पाया गया कि उच्च जाति के लोग भी रोजगार आदि नहीं मिलने के कारण शहरों में तेजी से पलायन कर रहे हैं। ऐसे बहुत से उच्च जाति के व्यक्ति जो कार्य तो कर सकते हैं किन्तु स्थानीय समस्याओं के कारण एवं रोजगार न मिलने के कारण गरीबी झेल रहे हैं और इसी कारण शहरों के तरफ पलायन भी कर रहे हैं। यदि उनकी योग्यता के अनुसार काम मिल जाए तो वे लोग भी दूसरे शहरों में पलायन नहीं करेंगे।

बिहार सरकार ने उच्च जातियों के लिए राज्य आयोग का गठन इस उद्देश्य से किया है कि बिहार में कम से कम हर व्यक्ति को भारतीय संविधान के अनुसार जीने का अधिकार प्राप्त हो जाए, अर्थात हरेक व्यक्ति को एक इज़्ज़त की जिंदगी जीने का प्रबंध हो सके। इज्जत से जीने का अर्थ है, उसे और उसके परिवार को दो वक्त की रोटी, कपड़ा और रहने का जगह और बच्चों की शिक्षा का खर्च प्राप्त हो सके। इस आयोग का उद्देश्य यह है कि जो लोग आरक्षण से बाहर हैं। चाहे वह किसी भी जाति के धर्म के हों उन्हें चिन्हित करना और उनकी गरीबी के कारणों का पता लगाना है तथा गरीबी दूर करने के उपाय बताने से है। इस कार्य में किसी भी धर्म जाति या पार्टी आदि का भेदभाव नहीं रखना है। श्री सिंह ने कहा कि जो आरक्षण से वंचित हैं। उनके लिए इस आयोग का गठन किया गया है। विकास की गति रुक जाएगी यदि इनके बारे में चिंता नहीं की गई तो, पहले उन्हें चिन्हित किया जाए जिनकी स्थिति ठीक नहीं है।

श्री सिंह ने विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि बिहार सरकार के द्वारा उच्च जातियों के लिए जिस राज्य आयोग का गठन किया गया है उसे उच्च जातियों के उत्थान के लिए सरकार को सुझाव देना होगा। उच्च जातियों में जिनकी स्थिति सबसे खराब है पहले उन्हें चिन्हित करना होगा, उनकी आर्थिक एवं शैक्षिक स्थिति साथ ही मकान या घर है कि नहीं इसके बारे में भी पता करना होगा। उनके लिए गांव में रोजगार की व्यवस्था करनी होगी। जो विधवा हैं, उनके लिए विधवा पेंशन की व्यवस्था करनी होगी, अपंग या बूढ़े जो घर से बाहर हैं, उनके बारे में पूरी जानकारी लेनी होगी। तभी राज्य या देश का विकास संभव है। इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। श्री सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से भारत सरकार से भी आग्रह किया है कि राष्ट्रीय स्वर्ण जाति आयोग का गठन कर राष्ट्र स्तर पर गरीब सवर्णों के हित में आरक्षण दिया जाए। ताकि आर्थिक, समाजिक तथा शैक्षणिक रूप से कमजोर सवर्णों की स्थिति मजबूत हो सके।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More