पटना : क्या एक जीव को जीवित रहने के लिए दूसरे का मरना अनिवार्य है… कुछ इसी सवाल का जवाब पटना के कालिदास रंगालय में मंचित नाटक ‘मांस का रूदन’ के जरिये भोजपुरी फिल्मकार मनोज सिंह टाइगर तलाशते नजर आये। पंचम रंग प्रस्तुत नाटक ‘मांस का रूदन’ में मनोज सिंह टाइगर ने अपने सोलो अभिनय के जरिये एक मार्मिक प्रस्तुति से दर्शकों के बीच एक सार्थक संदेश दिया। बता दें कि मनोज ने इस नाटक में गीत खुद गाये और उसकी रचना भी खुद ही की है। वे 20 सालों से रंगकर्म करते रहे हैं। नाटक ‘मांस का रूदन’ को रंगमंच के प्रतिष्ठित निर्देशक पार्थ सारथी रॉय ने निर्देशित किया। इस दौरान संगीत संजय दत्ता ने और मंच परिकल्पना (प्रकाश) रमेश कश्यप का था। नाटक के सह निर्देशक राहुल दीक्षित थे।![]()
नाटक ‘मांस का रूदन’ दो निरही प्राणी पर आधारित था, जो एक हिरनी, एक कुत्ते की प्रेम कहानी है। इसमें कुत्ते का नाम डोरा और हिरनी का नाम जेरी है। एक ओर कुत्ता मांस के बगैर एक दिन भी नहीं रह सकता था, दूसरी ओर हिरनी मांस की गंध तक को बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। बावजूद इसके दोनों प्राणी एक दूसरे में बसते थे और एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। वहीं, इन दोनों प्राणी का आसरा ठाकुर साहब के यहां था। ठाकुर साहब को भी दोनों से बेहद प्रेम था।![]()
Related Posts
Comments are closed.